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हिसार14 घंटे पहले
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सेक्टर 14 पार्ट टू की आरडब्लूए पदाधिकारी बैठक करते हुए।
- कुछ पार्षदाें ने मेयर काे ज्ञापन साैंपा, पार्षद अमित ग्राेवर ने वार्डवासियाें की बुलाई मीटिंग
- पार्षद टीनू जैन ने भी वार्ड के लाेगों के साथ सीनियर सिटीजन क्लब में मीटिंग की
एसीडी यानी एडवांस कंजेप्शन डिमांड के नाम पर बिजली उपभाेक्ताओं से लिए जा रहे चार महीने व दाे महीने के एडवांस बिल मामले में अब शहर के जनप्रतिनिधि विराेध में उतर आए हैं। बीजेपी सहित सभी पार्षदाें ने मीटिंग कर मेयर गाैतम सरदाना काे मांग पत्र साैंपा है कि सरकार तक मामला पहुंचाए और सिक्योरिटी के नाम पर लाेगाें काे डाला जा रहा अतिरिक्त बाेझ हटवाया जाए।
इधर, वार्ड 14 के पार्षद अमित ग्राेवर ने शहरवासियाें के साथ मीटिंग कर राेष जताया है। उन्हाेंने चेतावनी दी कि बिजली निगम और सरकार इस फैसले काे वापस ले वरना वे बिल जमा नहीं करेंगे। जनप्रतिनिधियाें के अलावा शहर के अलग-अलग जगह पर शहर के लोगों ने मीटिंग कर विराेध जताते हुए बिल न जमा करने का ऐलान किया है।
पार्षद बोले- एसीडी के आदेश वापस हों
एडवांस कंजेप्शन डिमांड यानि एसीडी लिए जाने के विरोध में पार्षदों ने मेयर गौतम सरदाना को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम मांग पत्र सौंपा। सीनियर डिप्टी मेयर अनिल सैनी व डिप्टी मेयर जयवीर सिंह गुर्जर उपस्थित रहे। पार्षदों ने मेयर से मांग कि कोविड 19 के कारण पहले आम जनता की आर्थिक स्थिति खराब है। ऐसे में सरकार द्वारा एसीडी लेने से जनता में रोष है।
उन्हाेंने इस आदेश काे वापस लेने की मांग की। पार्षद अनिल जैन, डॉ. उमेद खन्ना, भूप सिंह रोहिल्ला, मनोहर लाल, जय प्रकाश, प्रीतम सैनी, पिंकी शर्मा, पार्षद प्रतिनिधि उदयवीर सिंह मिंटू, सुशील शर्मा, प्रवीण केडिया, राजू, भीम महाजन मौजूद रहे।
कनेक्शन काटे तो विरोध किया जाएगा : ग्राेवर
डीएचबीवीएन द्वारा बिजली के बिल के साथ सिक्योरिटी जमा करवाने की नई नीति के विरोध में पार्षद अमित ग्रोवर ने शहरवासियों के साथ बैठक कर इस नीति को वापिस लेने की मांग की है। पार्षद ग्रोवर ने कहा कि वह शहर के व्यापारियों और शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर लोगों से संपर्क करेंगे।
वहीं रेजिडेंट वेलफेयर एसो. सेक्टर 14 पार्ट 2 के सदस्यों ने एसीडी के नाम पर उपभाेक्ताओं पर डाला जा रहे अतिरिक्त बाेझ के विराेध में सीनियर सिटीजन क्लब में बैठक आयोजित की। उन्हाेंने रोष प्रकट करते हुए किया और बिल न भरने का निर्णय लिया।
बैठक की अध्यक्षता पार्षद टीनू जैन व रेजिडेंट वेलफेयर एसो. के अध्यक्ष विनोद धवन ने संयुक्त रूप से की। बैठक में आरडब्ल्यूए के प्रधान विनोद धवन ने सचिव गौरव गोयल, संरक्षक प्रवीण सिंघल, उपाध्यक्ष एडवोकेट राजकिशन, कार्यकारिणी सदस्य दीपक अरोड़ा, सुखबीर बूरा, प्रवीण बंसल कोषाध्यक्ष, आदि रहे।
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उदाहरण के ताैर पर 12 महीने की खपत का बिल माना 24 हजार रुपये एक उपभाेक्ता का बनता है। उसकाे 12 से भाग किया जाता है। महीने के 2 हजार रुपये के बिल का एवरेज निकल आया। अब नियम के हिसाब से दाे बिलाें की एडवांस राशि एसीडी के रूप में जमा करानी हाेगी।
अब परेशानी ये है कि घरेलू बिल दाे महीने में एक बार दिया जाता है। यानी दाे बिल चार महीने के बिल पर बनेगा। 2 हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 4 माह का बिल 8 हजार रुपये हाेगा। यानी दाे बार उपभाेक्ता काे चार-चार हजार रुपये जमा कराने हाेंगे। नाॅन डाेमेस्टिक कनेक्शन में अगर 2 हजार रुपये प्रतिमाह की एवरेज आ रही है ताे दाे बिल के चार हजार रुपये बनेंगे।
यानी दाे बार उपभाेक्ता काे 2-2 हजार रुपये एसीडी के नाम पर जमा कराने हाेंगे। नाॅनडाेमेस्टिक का महीने का बिल बनता है यानी 4 हजार रुपये हाे गए। एडीएस में अगर किसी के 2 हजार रुपये जमा है ताे उसके 1 -1 हजार रुपये दाे बार ले लेगा। अगर यही कनेक्शन घरेलू है ताे दाे बिल है ताे उसका आठ हजार रुपये देने हाेंगे। अगर उसके चार हजार रुपये जमा करवा रखे हैं ताे उससे दाे बार में चार हजार रुपये जमा कराना हाेगा। अगर ज्यादा है ताे उसकाे वापस मिल जाएंगे।
फैक्ट…रिकाॅर्ड में सिक्योरिटी आज भी 2015 के आधार पर
असल में रिकाॅर्ड में सिक्योरिटी आज भी वर्ष 2015 से उसी रेट के आधार पर ली जा रही है। यदि एक उपभाेक्ता नया घरेलू कनेक्शन सिंगल फेस लेता है ताे 1 किलाेवाट के कनेक्शन की उसे 750 रुपये सिक्योरिटी के नाम पर व 2 किलाेवाट तक 200 रुपये व पांच किलाेवाट तक 500 रुपये सर्विस कनेक्शन चार्जेज जमा कराने पड़ते हैं। थ्री फेस लेता है ताे सर्विस चार्जेज एक हजार रुपये जमा हाेंगे। नाॅन डाेमेस्टिक सिंगल फेस पर 1 हजार रुपये सिक्याेरिटी, थ्री फेज पर सिक्योरिटी 1 हजार रहेगी व सर्विस चार्जेज 2 हजार रुपए हाेगा।
ये भी जानिए
- सर्विस कनेक्शन चार्जेज- नाॅन रिफंडेबल।
- सिक्योरिटी एडजस्ट या रिफंड की जा सकती है।
- निगम के रिकाॅर्ड के मुताबिक 2 प्रतिशत लाेग भी सिक्योरिटी वापस नहीं ले पाते।
- 2015 में सिक्योरिटी राशि बढ़ाई गई थी। यानी इसके बाद के चार से पांच प्रतिशत उपभाेक्ताओं पर ज्यादा बाेझ नहीं पड़ेगा।