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देहरादून5 मिनट पहलेलेखक: हिमांशु घिल्डियाल
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उत्तराखंड सरकार के अनुरोध पर वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर्स को जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए बुलाया गया है।
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को बुझाने के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं। जंगल में लगी आग बुझाने के लिए एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए गए हैं। इसके लिए MI-17 हेलीकॉप्टर की भी मदद ली जा रही है। गढ़वाल के टिहरी के नरेन्द्रनगर रेंज में इनकी मदद से आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी पहुंच चुका है। उसका भी उपयोग किया जाएगा।

एमआई-17 हेलीकाप्टर्स ने आग लगने से प्रभावित जंगलों की दो बार रेकी की। इसके बाद नरेंद्रनगर रेंज के जंगलों में उनकी मदद से पानी का छिड़काव किया गया।
मुख्यमंत्री ने मांग किए जाने पर प्राथमिकता से तत्काल एमआई-17 हेलीकाप्टर उपलब्ध कराए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया है। वन मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए वन विभाग तत्पर है। विभाग के अधिकारियों और कर्मचरियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। स्थानीय लोगों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय, नरेन्द्रनगर वन प्रभाग, मुनिकीरेती द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वायुसेना के एमआई-17 हेलीकाप्टरों से जंगलों में आग को बुझाने की कवायद प्रारम्भ की गई है। जिसके प्रारम्भिक चरण में गढ़वाल में आज टिहरी जनपद अन्तर्गत नरेन्द्रनगर वन प्रभाग की नरेन्द्रनगर रेंज में एवं तमियार (फकोट ब्लॉक, टिहरी) में आग बुझाने का काम किया गया।सुबह 08: 30 बजे हेलीकॉप्टर देहरादून एयरपोर्ट पर उतरा।
प्रारम्भिक तैयारियों के पूर्ण होने के उपरान्त प्रातः 10: 00 बजे एयर ऑपरेशन प्रारम्भ किया गया, जिसमें पहले दो बार प्रभावित क्षेत्रों की रेकी की गई। इसके बाद कोटी कॉलोनी, टिहरी झील से 5,000 लीटर की बकेट में पानी भरकर वनाग्नि से प्रभावित जंगलों में पानी का 04 सोर्टियों के माध्यम से दो बार 10,000 लीटर पानी का छिड़काव किया गया।

हेलीकॉप्टर्स के बकेट मे पानी टिहरी झील से लिया गया। एक बार में 5000 लीटर पानी ही आ सकता है। दो बार बकेट भर 10000 लीटर पानी का छिड़काव किया गया।
एयर ऑपरेशन दोपहर 12: 40 बजे तक जारी रहा, लेकिन बाद में प्रतिकूल मौसम के कारण ऑपरेशन को रोकना पड़ा। मंगलवार दोबारा सुबह ऑपरेशन शुरु किया जाएगा। इस सम्पूर्ण ऑपरेशन में वायु सेना के साथ ही उत्तराखण्ड सरकार के विभिन्न महकमों यथा-वन विभाग, सिविल एविएशेन विभाग, जिला प्रशासन, एवं स्थानीय स्टाफों द्वारा सहयोग प्रदान किया गया।